हरि बिन कूँण गती मेरी? (टेक)
तुम मेरे प्रतिपाल कहिये, मैं रावरी चेरी।।1।।
आदि अन्त निज नाँव तेरो, हीया में फेरी।।2।।
बेरि-बेरि पुकारि कहूँ, प्रभु आरति है तेरी।।3।।
यौ संसार विकार सागर, बीच में घेरी।।4।।
नाव फाटी प्रभू पालि बाँध्यो, बूडत है बेरी।।5।।
बिरहणि पिव की बाट जोवै, राखि ल्यौ नेरी।।6।।
दासि मीराँ लाल गिरधर, सरणि हूँ तेरी।।7।।[1]