हम भई ढीठि भले तुम ग्‍वाल -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

Prev.png
राग भैरव


हम भई ढीठि भले तुम ग्‍वाल।
दीन्‍हौ ज्‍वाब दई कौ चैहौ, देखौ री यह कहा जँजाल।।
बन-भीतर जुवतिनि कौ रोकत, हम खोटी, तुम्‍हरे ये ख्‍याल।
बात कहन कौं येऊ आवत, बड़े सुधर्मा धर्महिं पाल।।
साखि सखा की ऐसी भरिहौ, तब आवहुगे जीति भुवाल।
आए हैं चढि़ रिस करि हम पर, सूर हमहिं जानत बेहाल।।1532।। 

Next.png

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः