हम तै गए उनहुँ तै खोवै।
ह्वाँ तै खेदि देहिं वै हम तन, हम उन तन नहि जीवै।।
जैसी दसा हमारी कीन्ही तैसै उनहिं बिगोबै।
भटके फिरे द्वार द्वारनि सब, हम देखै वै रोवै।।
आवहु यहै मतौ री करियै, निधरक वै सुख सोवै।
'सूर' स्याम कौ मिलै जाइ कै, कैसै उनकौ धोवै।।2228।।