हमारे हिरदै कुलिसहु जीत्यौ -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

Prev.png
राग मलार


हमारे हिरदै कुलिसहु जीत्यौ।
फटत न सखी अजहुँ उहि आसा, बरष दिवस परि बीत्यौ।।
हमहूँ समुझि परी नीकै करि, यह असितन की रीत्यौ।
बहुरि न जीवन मरन सौ साझौ, करी मधुप की प्रीत्यौ।।
अब तौ बात घरी पहरन की, ज्यौ उदवस की भीत्यौ।
‘सूर’ स्याम दासी सुख सोवहु, भयौ उभै मन चीत्यौ।। 3383।।

Next.png

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः