हमरो प्रणाम बांके बिहारी को -मीराँबाई

मीराँबाई की पदावली

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राग ललित


हमरो प्रणाम बांके बिहारी को ।। टेक ।।
मोर मुगट माथे तिलक बिराजै, कुंडल अलकाकारी को ।
अधर मधुर पर बंशी बजावै, रीझ रिझावै राधाप्‍यारी को ।
यह छबि देख मगन भई मीराँ, मोहन गिरवरधारी को ।।2।।[1]

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. बाँके बिहारी = रसिक श्री कृष्ण। मोरमुगट = मोर पंख से युक्त मुकुट। माथे = ललाट पर। कुंडल अलका कारी को = कुण्डल और
    काली अलकावलि धारण करने वाले को। रीझ-राधा प्यारी को = स्वयं रीझ कर प्रेमिका राधा को भी रिझाने वाले को।

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