हनुमत, मली करी तुम आए -सूरदास

सूरसागर

नवम स्कन्ध

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राग मारू


 
हनुमत, भली करी तुम आए।
बारंबार कहति बैदेही, सुख-संताप मिटाए।
श्री रघुनाथ और लछिमन के समाचार सब पाए।
अब परतीति भई मन मेरे, संग मुद्रिका लाए।
क्यौं करि सिंधु-पार तुम उतरे, क्यौं करि लंका आए।
सूरदास रघुनाथ जानि जिय, तव बल इहाँ पठाए॥90॥

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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