स्याम हौ निजु कै बिसारी -सूरदास

सूरसागर

1.परिशिष्ट

भ्रमर-गीत

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स्याम हौ निजु कै बिसारी।
मारग चितवत सगुन मनावत, काग उड़ावत हारी।।
ना जानौ सखि कौन हेत तै, व्याप्यौ यह दुख भारी।
‘सूरदास’ प्रभु तुम्हरे दरस बिनु, काम बिसम सर मारी।। 186 ।।

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