स्याम म्हाँसूँ ऐंडो डोले हो -मीराँबाई

मीराँबाई की पदावली

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राग धमार





स्याम म्हांसूँ ऐंडो डोले हो, औरन सूँ खेलै धमाल।
म्हांसूँ मुखहिं न बोले हो, स्याम म्हांसूँ. ।।टेक।।
म्हांरी गलियां नां फिरे, वांके आँगण डोले, हो।
म्हांरी अँगुली ना छुवे, बांकी बहिंयाँ मोरे, हो।
म्हांरो अँचरा ना छुवो, वांको घूँघट खोले, हो।
मीरां के प्रभु साँवरो, रँग रसिया डोले हो ।।182।।[1]




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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. म्हाँसू = हमने, मुझसे। ऐंडो = ऐंठता वा इतराता हुआ। (देखो- ‘धन जोबन मद ऐंडो, ताकत नारि पराई’ - सूरदास )। डोले हो = चलता है। और नसूँ = अन्य स्त्रियों के साथ। खेलै धमार = आनंद उड़ाता है, क्रीड़ा करता है। मुखहि न बोले = सामने बातचीत तक नहीं करता। गलियाँ ना फिरे = घूमता फिरता भी नहीं आ जाता। वांके = उनके। आंगण डोले = घर के भीतर तक पहुँचा करता है। अँगुली ना छुवे = मुझे स्पर्श तक नहीं करने देता, मुझसे तो दूर ही रहना पसंद करता है। वांकी = उनकी। बहियाँ मोरे हो = छेड़छाड़ किया करता है, लड़ झगड़ तक जाता है। म्हांरो = हमारा, मेरा। अँचरा ना छुवे = अंचल तक का स्पर्श नहीं करता। वांको... घोले = उनके घूँघट हटा दिया करता है। रँगरसिया डोले = विलासी पुरुष बना फिरता है।

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