स्याम बिना उनए ये बदरा -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग बिहागरौ


स्याम बिना उनए ये बदरा।
आजु स्याम सपने मैं देखे, भरि नैआए न ढरकि गयौ कजरा।।
चंचल चपल अतिहिं चित चोरै, निसि जागत मोकौ भयौ पगरा।
'सूरदास' प्रभु कबहिं मिलौगे, तजि गए गोकुल मिटि गयौ झगरा।। 3307।।

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