स्कन्द

Disamb2.jpg स्कन्द एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- स्कन्द (बहुविकल्पी)

स्कंद का उल्लेख हिन्दू पौराणिक ग्रंथ महाभारत में हुआ है। ये कार्त्तिकेय का ही एक अन्य नाम है, जो शिव के पुत्र, देवताओं के सेनापति और युद्ध के देवता माने गये हैं।

  • ब्रह्म वैवर्त पुराण के अनुसार यह अग्नि से उत्पन्न हुए और इन्हें 'षड़ानन' या 'कार्तिकेय' भी कहते हैं।
  • इनके छह मुख हैं और यह बहुत सुन्दर कहे गये हैं।
  • तन्त्रानुसार देवसेना या षष्ठी देवी इनकी पत्नी हैं।
  • कुछ अन्य पुराणानुसार अग्नि से शंकर का वीर्य हजम न हो सका, जिसके कारण ये गंगा में वमन कर आये जहाँ से छह कृत्तिकाएँ उठा लायीं और अपना दूध पिला बड़ा किया।
  • महाभारत शल्य पर्व के अनुसार इनके द्वारा तारकासुर, महिषासुर, त्रिपाद तथा ह्रदोदर का वध, बाणासुर की पराजय तथा क्रौंच पर्वत का विदारण किया गया था।[1]
  • 'स्कन्द' का अर्थ होता है- 'क्षरण अर्थात विनाश'। भगवान शिव संहार के देवता हैं। कार्तिकेय संहारक शस्त्र अथवा शक्ति के रूप में जाने जाते हैं।



टीका टिप्पणी और संदर्भ

पौराणिक कोश |लेखक: राणा प्रसाद शर्मा |प्रकाशक: ज्ञानमण्डल लिमिटेड, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 541 |

  1. महाभारत शल्य पर्व 46.73-84

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