सोहत जुगल राधे-स्याम -हनुमान प्रसाद पोद्दार

पद रत्नाकर -हनुमान प्रसाद पोद्दार

श्रीराधा माधव स्वरूप माधुरी

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राग पीलू - तीन ताल


सोहत जुगल राधे-स्याम।
नील नीरद स्याम, गोरी राधिका अभिराम॥
पीत बसन सुनील तन पर लसत सोभा-धाम।
नील सारी अति सुसोभित गौर देह ललाम॥
उभय अनुपम रूप-निधि, सृङ्गार के सृङ्गार।
सील-गुन-माधुर्य-मंडित अतुल, सुषमागार॥
दिब्य देह, सुमन अलौकिक सुचि सदा अबिकार।
सर्ब, सर्बातीत, निरगुन, सकल गुन आधार॥
प्रकृति-गत, नित प्रकृतिपर, रस दिब्य पारावार।
एक नित जो, बने नित दो करत नित्य बिहार॥
करत अति पावन परस्पर प्रेममय ब्यौहार।
स्व-सुख-बांछा-रहित पूरन त्यागमय आचार॥

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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