सैननि नागरी समुझाइ।
खरिक आबहु दोहनि लै, यहै मिस छल लाइ।
गाइ-गनती करन जैहैं, मोहिं लै नँदराइ।
बोलि वचन प्रमान कीन्हौ, दुहुनि आतुरताइ
कनक बरन सुढार सुंदरि, सकुचि बदन दुराइ।
स्याम प्यारी-नैन राँचे, अति बिसाल चलाइ।
गुप्त प्रीति न प्रगट कीन्ही, हृदय दुहुनि छिपाइ।
सूर प्रभु के बचन सुनि-सुनि, रही कुँवरि लजाइ।।676।।