सुभग सेज मै पीढ़े कुँवर -सूरदास

सूरसागर

2.परिशिष्ट

भ्रमर-गीत

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राग बिहाग़रा




सुभग सेज मै पीढे कुँवर रसिक बर रमने अंग संजागरज जागे हैं।
सिथिल बसन बीच भूषन अलक छवि सोह नख सुख सौ लपटि उर लागे हैं।।
झुकि झुकि आवै नैन आलस झलक रची लटपटी तानै कर अति अनुरागे हैं।
'सूरदास' नद जू के सुवन तिहारौ जस जानौ प्रान प्रिय सुखही मैं रस पागे हैं।। 54 ।।

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