सुन्दर श्याम कमल-दल-लोचन -हनुमान प्रसाद पोद्दार

पद रत्नाकर -हनुमान प्रसाद पोद्दार

श्रीराधा के प्रेमोद्गार-श्रीकृष्ण के प्रति

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राग परज - तीन ताल


सुन्दर श्याम कमल-दल-लोचन दुखमोचन व्रजराज किशोर।
देखूँ तुम्हें निरन्तर हिय-मन्दिर में, हे मेरे चितचोर!
लोक-मान-कुल-मर्यादा के शैल सभी कर चकनाचूर।
रखूँ तुम्हें समीप सदा मैं, करूँ न पलक तनिकभर दूर॥
पर मैं अति गँवार ग्वालिनि गुणरहित कलंकी सदा कुरुप।
तुम नागर गुण-‌आगर अतिशय कुलभूषण सौन्दर्य-स्वरूप॥
मैं रस-जान-रहित रसवर्जित, तुम रसनिपुण रसिक सिरताज॥
इतने पर भी दयासिन्धु तुम मेरे उर में रहे विराज॥

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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