सुनै सदा चाहे न कुछ -हनुमान प्रसाद पोद्दार

पद रत्नाकर -हनुमान प्रसाद पोद्दार

प्रेम तत्त्व एवं गोपी प्रेम का महत्त्व

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राग ईमन - तीन ताल


सुनै सदा चाहे न कुछ, सहै सबै जो होय।
रहै एक-रस एक-मन प्रेम कहावत सोय॥
तन-मन-धन-‌अर्पन कियौ सब तुम पै ब्रजराज।
मन भावै सो‌ई करौ हाथ तुम्हारे लाज॥

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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