सुनि सजनी ये ऐसे लागत -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

Prev.png
राग गूजरी


सुनि सजनी ये ऐसे लागत।
एक प्रान जुग तन सुखकारन, एकौ निमिष न त्यागत।।
बिछुरत नहीं संग तै दोऊ, बैठत, सोवत, जागत।
पूरबनेह आजु यह नाही, मोसौ सुनहु अनागत।।
मेरी कही साँच तुम जानौ, कीजौ, आगत स्वागत।
'सूर' स्याम राधावर ऐसे, प्रीतिहिं तै अनुरागत।।1905।।

Next.png

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः