सुनहु स्याम मेरी बिनती।
तुम हरता तुम करता प्रभु जू, मातु पिता कौनैं गिनती।।
गय बर भेटि चढ़ावत रासभ, प्रभुता मेटि करत हिनती।
अल लौं करो लोक-मरजादा, मानौं थोरैं हीं दिन ती।।
बहुरि बहुरि ब्रज जन्म लेत हौ, यह लीला जानी किन ती।
सूर स्याम चरननि तैं मोकौं, राखत रहे कहा भिन ती।।1689।।