सुनहु सखी राधा की बातैं।
मोसौं कहति स्याम हैं कैसे, ऐसी मिलई धातैं।।
की गोरे, की कारे-रंग हरि, की जोबन, की भोरे।
की इहिं गाउँ बसत की अनतहिं, दिननि बहुत,की थोरे।।
की तू कहति बात हँसि मोसौं, को बूझति सति-भाउ।
सपनैं हूँ उनकौं नहिं देखे, वाके सुनहु उपाउ।।
मोसौं कही कौन तोसी प्रिय, तोसौं बात दुरैहौं।
सूर कही राधा मो आगैं, कैसैं मुख दरसैहौं।।1721।।