सुद्ध सत्त्व की वृत्ति -हनुमान प्रसाद पोद्दार

पद रत्नाकर -हनुमान प्रसाद पोद्दार

प्रेम तत्त्व एवं गोपी प्रेम का महत्त्व

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राग माँड़ - ताल कहरवा


प्रेम के आठ स्तर


प्रेम


सुद्ध सत्त्व की वृत्ति जो कृष्न-सुखेच्छारूप।
त्यागी जन मन में उदित ‘प्रेम’ पबित्र अनूप॥

स्नेह


प्रेम बिषय कौं प्राप्त करि द्रवित करै जब चित्त।
‘स्नेह’ कहावत सो‌इ तब प्रेमी जन कौ वित्त॥
बढ़त उष्नता-ज्योति, जब घृत पूरन होय दीय।
दरस-लालसा बढ़त त्यौं स्नेह-‌उदय तें हीय॥

मान


अति नूतन माधुर्य कौ अनुभव जामें होय।
नेह पा‌इ उत्कर्षता ‘मान’ कहावत सोय॥
भाव छिपावन हृदय कौ बनै बक्र अरु बाम।
सुख उपजावत स्याम कौ धारि ‘मान’ मधु नाम॥

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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