सुदामा गृह कौ गमन कियौ -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग बिलावल



सुदामा गृह कौ गमन कियौ।
प्रगट बिप्र कौ कछु न जनायौ, मन मैं बहुत दियौ।।
वेई चीर कुचील वहै विधि, मोकौ कहा भयौ।
धरिहौ कहा जाइ तिय आगै, भरि भरि लेत हियौ।।
सो संतोष मानि मन ही मन, आदर बहुत लियौ।
'सूरदास' कीन्हे करनी बिनु, को पतियाइ बियौ।। 4234।।

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