सराहौ तेरौ नंद हियौ ।
मोहन सो सुत छाँड़ि मधुपुरी, गोकुल आनि जियौ ।।
कहा कह्यौ मेरे लाल लडैतै, जब तू बिदा कियौ ।
जीवनप्रान हमारे व्रज कौ, वसुद्यौ छीनि लियौ ।।
कह्यौ पुकार पारि पचिहारि, वरजत गवन कियौ ।
‘सूरदास’ प्रभु स्यामलाल धन, ले पर हाथ दियौ ।। 3165 ।।