सब में सब देखें निज आत्मा -हनुमान प्रसाद पोद्दार

पद रत्नाकर -हनुमान प्रसाद पोद्दार

वंदना एवं प्रार्थना

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राग जौनपुरी - तीन ताल


सब में सब देखें निज आत्मा, सब में सब देखें भगवान।
सब ही सब का सुख-हित देखें, सब का सब, चाहें कल्यान॥
एक दूसरे के हित में सब करें परस्पर निज-हित-त्याग।
रक्षा करें पराधिकार की, छोड़ें स्वाधिकार की माँग॥
निकल संकुचित सीमा से ’स्व’ करे विश्व में निज विस्तार।
अखिल विश्व के हित में ही हो ’स्वार्थ’ शब्द का शुभ संचार॥
द्वेष-वैर-हिंसा विनष्ट हों, मिटें सभी मिथ्या अभिमान।
त्याग-भूमि पर शुद्ध प्रेम का करें सभी आदान-प्रदान॥
आधि-व्याधि से सभी मुक्त हों, पायें सभी परम सुख-शान्ति।
भगवद्भाव उदय हो सब में, मिटे भोग-सुख की विभ्रान्ति॥
परम दयामय! परम प्रेममय! यही प्रार्थना बारंबार।
पायें सभी तुम्हारा दुर्लभ चरणाश्रय, हे परम उदार!॥

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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