जो कार्य अनेक व्यक्तियों के सहयोग से किया गया हो और जिसमें बहुतों को ज्ञान, सदाचार आदि की शिक्षा तथा अन्न-वस्त्रादि वस्तुएँ दी जाती हों, जो बहुतों के लिये तृप्तिकारक एवं उपयोगी हो, उसे सत्र कहते हैं।
- उदाहरण
- पूर्व काल में नैमिषारण्य निवासी ऋषियों ने बारह वर्षो तक चालू रहने वाले एक 'सत्र' का आरम्भ किया था।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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