सखी री सावन दूलह आयौ -सूरदास

सूरसागर

1.परिशिष्ट

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राग मलार




सखी री सावन दूलह आयौ।
चारि मास को लगन लिखायी बदरनि अबर छायौ।।
बिजुरी चपल बराती बगुला कोकिल सबद सुनायौ।
दादुर मोर पपीहा उमँगे इंद्र निसान बजायौ।।
हरित भूमि पर जरद देखियत सबुज बिछोन बिछायौ।
'सूरदास' प्रभु तुम्हरे दरस कौ सखियनि मंगल गायौ।। 107 ।।

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