सखी री बूँद अचानक लागी -सूरदास

सूरसागर

1.परिशिष्ट

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सखी री बूँद अचानक लागी।
सोवत हुती मदन मद माती, घन गरजत हौ जागी।।
बोलत मोरवा बरषत धुरवा, राग करत अनुरागी।
'सूरदास' प्रभु कब रे मिलौगे, हौ हूँ होहुँ सभागी।। 142 ।।

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