"श्रीराधा के प्रेमोद्गार-श्रीकृष्ण के प्रति" श्रेणी में पृष्ठ इस श्रेणी में निम्नलिखित 59 पृष्ठ हैं, कुल पृष्ठ 59 अ अतुल रूप-सौन्दर्य तुम्हारा -हनुमान प्रसाद पोद्दार अनोखौ प्रेम तुम्हारौ स्याम -हनुमान प्रसाद पोद्दारए एकमात्र उनकी ही हूँ मैं -हनुमान प्रसाद पोद्दारक कभी मत मिलें, मिले रहें नित -हनुमान प्रसाद पोद्दार कभी मत मिलो, पूछो न कभी -हनुमान प्रसाद पोद्दार करना तुम मत नाश कभी यह -हनुमान प्रसाद पोद्दार कितने तुम अनुपम, अति सुन्दर -हनुमान प्रसाद पोद्दार कैसी दिव्य तुम्हारी ममता -हनुमान प्रसाद पोद्दार क्षणभर मुझे उदास देख -हनुमान प्रसाद पोद्दारख खूब जानती हूँ मैं -हनुमान प्रसाद पोद्दारच चाह-कुचाह मिट गयी सारी -हनुमान प्रसाद पोद्दार चाहता मन है नित संयोग -हनुमान प्रसाद पोद्दारत तन कौ कन-कन मेरौ होवै -हनुमान प्रसाद पोद्दार तुम अनन्त सौन्दर्य-सुधा-निधि -हनुमान प्रसाद पोद्दार तुम अपनी असमोर्ध्व -हनुमान प्रसाद पोद्दार तुम करते रहो रसिकवर -हनुमान प्रसाद पोद्दार तुम हो यन्त्री, मैं यन्त्र -हनुमान प्रसाद पोद्दार तुमसे सदा लिया ही मैंने -हनुमान प्रसाद पोद्दार तुम्हारी स्मृति ही है आधार -हनुमान प्रसाद पोद्दार तुम्हें यदि सुख हो, हे हृदयेश -हनुमान प्रसाद पोद्दार द दुतकारो-डाँटो सदा -हनुमान प्रसाद पोद्दार दूर करो, ठुकराओ चाहे, प्यारे -हनुमान प्रसाद पोद्दार देख तुम्हारा यह पवित्र अप्रतिम -हनुमान प्रसाद पोद्दार देख रही सुन रही सभी -हनुमान प्रसाद पोद्दार देह-प्राण, मन-बुद्धि -हनुमान प्रसाद पोद्दार देउँ कहा तुम कहँ स्याम सुजान -हनुमान प्रसाद पोद्दारन नहीं एक भी सद्गुण मुझ में -हनुमान प्रसाद पोद्दार नहीं चाहती तुमसे कुछ भी -हनुमान प्रसाद पोद्दार नहीं चाहती दुःख मिटाना -हनुमान प्रसाद पोद्दार नहीं शक्ति, सामर्थ्य न कुछ भी -हनुमान प्रसाद पोद्दारप पियारे! तुम ही तुम्हरे जोग -हनुमान प्रसाद पोद्दार प्रियतम! तव रूप-सुधा-रस-माधुरि प्यारी -हनुमान प्रसाद पोद्दार प्रियतम! मीठी नित याद तुम्हारी आती -हनुमान प्रसाद पोद्दार प्रेमाधीन शिरोमणि हो तुम -हनुमान प्रसाद पोद्दारफ फिर तुम क्यों रीझे हो मुझ पर -हनुमान प्रसाद पोद्दारब बहुत दूर तुम, बहुत पास तुम -हनुमान प्रसाद पोद्दार बिसारूँ कैसे स्याम सुजान -हनुमान प्रसाद पोद्दारभ भूल उच्चता भगवान सब -हनुमान प्रसाद पोद्दारम मिलती अगर सान्त्वना तुमको मेरे दुख से -हनुमान प्रसाद पोद्दार मिलो कभी मत, नहीं खबर लो -हनुमान प्रसाद पोद्दार म आगे. मेरी इस विनीत विनती को -हनुमान प्रसाद पोद्दार मेरे तुम, मैं नित्य तुम्हारी -हनुमान प्रसाद पोद्दार मेरे धन-जन-जीवन तुम ही -हनुमान प्रसाद पोद्दार मैं अति दीन, मलिन मति -हनुमान प्रसाद पोद्दार मैं अपराधिनि -हनुमान प्रसाद पोद्दार मैं थी पहले मलिना -हनुमान प्रसाद पोद्दार मैं भूली थी अपने भ्रम से -हनुमान प्रसाद पोद्दारय यहाँ-वहाँ कुछ कहीं न मेरा -हनुमान प्रसाद पोद्दारर रहते घुले-मिले ही तुम नित -हनुमान प्रसाद पोद्दार राखूँ उर-मंदिर बाँधि प्रेम की डोरी -हनुमान प्रसाद पोद्दारश श्रवण-सुशोभित कुण्डल छवि -हनुमान प्रसाद पोद्दारस सदा सोचती रहती हूँ मैं -हनुमान प्रसाद पोद्दार सुन्दर श्याम कमल-दल-लोचन -हनुमान प्रसाद पोद्दार स्याम! तोय नैननि रखूँ छिपाय -हनुमान प्रसाद पोद्दारह हे प्रियतम! माधुर्य-सुधानिधि -हनुमान प्रसाद पोद्दार हो चाहे तुम सब के स्वामी -हनुमान प्रसाद पोद्दार हो चाहे तुम सर्वदोषमय -हनुमान प्रसाद पोद्दार हौं तो दासी नित्य तिहारी -हनुमान प्रसाद पोद्दार‘ ‘काया’ मैं न, ‘जीव’ तुम हो नहिं -हनुमान प्रसाद पोद्दार