श्री वल्लभ चरण लग्यो चित मेरो -गोविन्दस्वामी श्री वल्लभ चरण लग्यो चित मेरो। इन बिन और कछु नही भावे, इन चरनन को चेरो ॥1॥ इन छोड और जो ध्यावे सो मूरख घनेरो। गोविन्द दास यह निश्चय करि सोहि ज्ञान भलेरो ॥2॥ संबंधित लेख देखें • वार्ता • बदलेंगोविन्दस्वामी के पद प्रात समय उठि जसुमति जननी • श्री वल्लभ चरण लग्यो चित मेरो • आओ मेरे गोविंद, गोकुल चंदा वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज अ आ इ ई उ ऊ ए ऐ ओ औ अं क ख ग घ ङ च छ ज झ ञ ट ठ ड ढ ण त थ द ध न प फ ब भ म य र ल व श ष स ह क्ष त्र ज्ञ ऋ ॠ ऑ श्र अः