श्री यमुने पर तन मन धन प्राण वारो -कुम्भनदास

श्री यमुने पर तन मन धन प्राण वारो -कुम्भनदास

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श्री यमुने पर तन मन धन प्राण वारो ।
जाकी कीर्ति विशद कौन अब कहि सकै, ताहि नैनन तें न नेक टारों ॥1॥
चरण कमल इनके जु चिन्तत रहों, निशदिनां नाम मुख तें उचारो ।
कुम्भनदास कहे लाल गिरिधरन मुख इनकी कृपा भई तब निहारो ॥2॥

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