श्री द्वारिकाधीश -सुदर्शन सिंह 'चक्र'
19. प्रद्युम्न-हरण-शम्बर-मरण
प्रद्युम्न ने श्रीदेवकी-वसुदेव, संकर्षण-श्रीकृष्ण तथा रुक्मिणी जी एवं अन्य माताओं की चरण-वन्दना की मायावती के साथ। देवकी जी तथा रुक्मिणी जी ने पुत्रवधू को उठाकर हृदय से लगाया। आशीर्वाद दिया सबने। 'प्रद्युम्न आये। सपत्नी आये।' द्वारिका में समाचार शीघ्र फैल गया और प्रद्युम्न तो मानो मरकर लौटे थे। देवी रुक्मिणी के आनन्द का पार नहीं था। वसुदेव-देवकी पौत्र तथा पौत्र वधू पाकर हर्ष विह्वल थे। अन्तःपुर में नव-वधू का स्वागत प्रारम्भ हो गया था और प्रद्युम्न को परिचय दिया जा रहा था यादव प्रमुखों का। द्वारिका में महोत्सव, वेदपाठ, देवार्चन, बालक मिलने की मनौतियों के पूजन-सब प्रारम्भ हो गये थे। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
अध्याय | अध्याय का नाम | पृष्ठ संख्या |
वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज