(श्री जमुना जी) तिहारो दरस मोहिं भावै।
बंसी वट कै निकट बहति हौ लहरनि की छवि आवै।।
दुख हरनी सुख देनी जमुना प्रातहिं जो जस गावै।
मन मोहन की खरी पियारी पटरानी जु कहावै।।
बृंदाबन मैं रास बिलासै मुरली मधुर बजावै।
'सूरदास' दंपति छवि निरखत बिमल बिमल जस गावै।। 54 ।।