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श्रीराधा माधव चिन्तन -हनुमान प्रसाद पोद्दार
एक कृष्णप्रेमी के पत्र का उत्तर(उत्तर)
हनुमानप्रसाद पोद्दारवै. कृष्ण 1, 1999रतनगढ़ (बीकानेर)उपर्युक्त पत्र किन का है, यह पता नहीं। मालूम होता है, पत्रलेखक महानुभाव मुझसे कुछ परिचित हैं। उन्होंने अपना नाम-पता कुछ भी नहीं लिखा, इसी से ‘कल्याण’ के द्वारा उनके पद्यात्मक पत्र का उत्तर दिया जा रहा है। उनसे प्रार्थना है कि वे उत्तर में लिखी तुकबंदी की कविता-सम्बन्धी भूलों पर ध्यान न देकर भावों पर ध्यान दें। मैं कवित्वज्ञान से शून्य हूँ। एक प्रार्थना और है- उन्होंने पत्र में जो मुझको प्रणाम किया है और मुझसे ‘आसीस’ माँगी है, इससे मुझे बड़ा संकोच हुआ है; क्योंकि मैं न तो प्रणाम का अधिकारी हूँ और न मुझमें आशिष् देने की योग्यता है। पत्र-लेखक महोदय कृपापूर्वक भविष्य में ऐसा न करें। हनुमानप्रसाद पोद्दार |
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