श्रीराधा माधव चिन्तन -हनुमान प्रसाद पोद्दार
भगवान की सब लीलाओं का अनुकरण नहीं हो सकता
‘रमानाथ भगवान ने व्रजसुन्दरियों के साथ वैसे ही खेल किया, जैसे बालक अपनी छाया के साथ करता है।’ इन मधुर लीलाओं का अनुकरण कदापि नहीं करना चाहिये। जो मूढ़ इनका अनुकरण करने जाता है, वह शास्त्र और धर्म से च्युत होकर घोर नरक का अधिकारी होता है। वस्तुतः इन तीनों प्रकार की लीलाओं में केवल पहली लीला ही अनुकरण करने योग्य होती है। पिछले दोनों प्रकार की लीलाएँ तो श्रवण, कीर्तन, मनन और ध्यान करके भगवान के प्रति भक्ति तथा प्रेम प्राप्त करने के लिये है। शुद्ध मन से श्रद्धा-भक्तिपूर्वक भगवान की ऐश्वर्य और माधुर्य से भरी लीलाओं का चिन्तन करना चाहिये और आदर्श लोकशिक्षामयी लीलाओं को अपने जीवन में उतारना चाहिये। शेष भगवत्कृपा। |
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