श्रीराधा माधव चिन्तन -हनुमान प्रसाद पोद्दार
श्रीकृष्णदर्शन की साधनाएक गुजराती सज्जन निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर बड़ी उत्कण्ठा के साथ चाहते हैं। नाम प्रकाश न करने के लिये उन्होंने लिख दिया है, इसलिये उनका नाम प्रकाशित नहीं किया गया है, प्रश्नों की रक्षा करते हुए कुछ शब्द बदले गये हैं।
मेरा दृढ़ विश्वास है कि इस युग में भगवान् के दर्शन अवश्य हो सकते हैं, बल्कि अन्याय युगों की अपेक्षा थोड़े समय में और थोड़े प्रयास से ही हो सकते हैं। भक्तशिरोमणि तुलसीदास जी और नरसी मेहता आदि प्रेमियों को भगवान् के प्रत्यक्ष दर्शन हुए हैं, इस बातको मैं सर्वथा सत्य मानता हूँ। यदि भक्त चाहे तो वह दो मित्रों की भाँति एक स्थान पर मिलकर भगवान् से परस्पर वार्तालाप कर सकता है। अवश्य ही भक्त में वैसी योग्यता होनी चाहिये। भक्तों के ऐसे अनेक पुनीत चरित इस बात के प्रमाण हैं। भगवान् के शीघ्र दर्शन का सबसे उत्तम उपाय दर्शन की तीव्र और उत्कट अभिलाषा ही है। जिस प्रकार जल में डूबता हुआ मनुष्य ऊपर आने के लिये परम व्याकुल होता है, उसी प्रकार की परम व्याकुलता यदि भगवदर्शन के लिये हो तो भगवान् का दर्शन होना कोई बड़ी बात नहीं। व्याकुलता बनावटी न होकर असली होनी चाहिये। किसी का इकलौता पुत्र मर रहा हो या किसी की सैकड़ों वर्षों से बनी हुई इज्जत जाती हो, उस समय मन में जैसी स्वाभाविक और निष्कपट व्याकुलता होती है, वैसी ही व्याकुलता परमात्मा के दर्शन के लिये जिस परम भाग्यवान् भक्त के अन्तर में उत्पन्न होती है, उसको दर्शन दिये बिना भगवान् कभी नहीं रह सकते। |
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