श्रीराधा माधव चिन्तन -हनुमान प्रसाद पोद्दार
‘अहो! कितने आश्चर्य की बात है कि दूषित चित्त वाले मनुष्य मेरी इस उत्कृष्ट सनातन एवं मनोरम पुरीको, जिसकी देवराज इन्द्र नागराज अनन्त और बड़े-बड़े मनीश्वर भी स्तुति करते हैं, नहीं जानते। यद्यपि काशी आदि अनेक मोक्षदायिनी पुरियाँ हैं, तथापि उन सब में मथुरा पुरी ही धन्य है; क्योंकि यह अपने क्षेत्र में जन्म, उपनयन, मृत्यु और दाहसंस्कार- इन चारों ही कारणों से मनुष्य को मुक्ति देती है। ध्रुव ने बालक होने पर भी जहाँ मेरी (भगवान की) आराधना करके उस परम विशुद्ध धाम को प्राप्त किया, जो पितामह ब्रह्मा आदि को भी नहीं मिला। वह मेरी मथुरापुरी देवताओं के लिये भी दुर्लभ है; पहुँचकर लँगड़े -अंधे मनुष्य को भी प्राणत्यागपर्यन्त वहीं निवास करना चाहिये।’ |
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