श्रीराधा माधव चिन्तन -हनुमान प्रसाद पोद्दार
राधा के सदृश प्राणाधिक प्रिय दूसरा कहीं कोई भी नहीं है। ये अन्यान्य सभी देव-देवियाँ नित्य मेरे समीप रहती हैं, पर मेरी प्रियतमा राधिका तो सदा-सर्वदा मेरे वक्षः स्थल पर ही निवास करती है। इस ‘राधा’ नाम का अर्थ और महत्त्व बतलाते हुए शास्त्र कहते हैं-
‘राधा’ नाम के पहले अक्षर ‘र’ का उच्चारण करते ही करोड़ों जन्मों के संचित पाप और शुभ-अशुभ कर्मों के भोग नष्ट हो जाते हैं। आकार (आ) के उच्चारण से गर्भवास (जन्म), मृत्यु और रोग आदि छूट जाते हैं। ‘ध’ के उच्चारण से आयु की वृद्धि होती है और आकार के उच्चारण से जीव भव बन्धन से मुक्त हो जाता है। इस प्रकार ‘राधा’ नाम के श्रवण, स्मरण और उच्चारण से कर्मभोग, गर्भवास और भव-बन्धनादि एक ही साथ नष्ट हो जाते हैं इसमें कोई संदेह नहीं। |
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