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- क्षण भर मुझे उदास देख जो कभी प्राणप्रिय! पाते।
- सारा मोद भूल तुम प्यारे! अति ब्याकुल हो जाते।।
- कभी किसी कारण जब मेरे नेत्रकोण भर आते।
- तब तुम अति विषण्ण हो प्यारे! आँसू अमित बहाते।।
- कभी म्लानता की छाया यदि मेरे मुख पर आती।
- लगती देख धड़कने प्रिय! तत्काल तुम्हारी छाती।।
- मेरे मुख मुस्कान देख तुमको अतिशय सुख होता।
- हो आनन्दमग्न अति मन तब सारी सुध-बुध खोता।।
- मुझको सुखी देखने-करने को ही प्रतिपल प्यारे।
- होते पुण्य विचार मधुर, तव कार्य त्यागमय सारे।।
- मेरा सुख-दुख तनिक तुम्हें अतिशय है सुख-दुख देता।
- मेरा मन नित इन पावन भावों से अति सुख लेता।।
- दिया अमित, दे रहे अपरिमित, देते नित्य रहोगे।
- सहे सदा अपमान-अवज्ञा, आगे सदा सहोगे।।
- किया न प्यार कभी सच्चा, मैंने निज सुख ही देखा।
- निज सुख हेतु रुलाया, कभी हँसाया, किया न लेखा।।
- दे न सकी मैं तुम्हें कभी कुछ सुख-सामग्री कोई।
- निज मन-इन्द्रिय-तृप्ति हेतु मैंने सब आयुष् खोई।।
- बुरा मानना, दोष देखना, पर तुमने नहिं जाना।
- मेरे स्वार्थसने कामों को सदा प्रेममय माना।।
- मत्सुखकारक विमल प्रेम को मैंने नित ठुकराया।
- तब भी प्रेम तुम्हारा मैंने नित बढ़ता ही पाया।।
- तुम-से तुम ही हो, अग-जग में तुलना नहीं तुम्हारी।
- मेरा अति सौभाग्य यही, जो मान रहे तुम प्यारी।।
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