श्रीराधा माधव चिन्तन -हनुमान प्रसाद पोद्दार
“जो नराधम तुममें और मुझमें भेद बुद्धि करेगा, वह जब तक चन्द्रमा और सूर्य रहेंगे तब तक ‘कालसूत्र’ नामक नरक में निवास करेगा।”- इसलिये उनमें किसी सम्बन्ध का प्रश्न ही नहीं उठता। तथापि ‘ब्रह्मवैवर्तपुराण’ में उने दिव्य मंगल विवाह का वर्णन भी आता है, जो बड़ा सुन्दर और मधुर है। नन्द बाबा एक दिन गोपों का गो-चारण-निरीक्षण करने जा रहे थे। बालक श्रीकृष्णचन्द्र साथ चलने के लिये मचल गये। वे किसी प्रकार नहीं माने, रोने लगे। इसीलिये वे उन्हें साथ ले गये। वहाँ वन में पहुँचने पर गोरक्षकों को तो उन्होंने दूसरे वन की गाय एकत्र कर वहीं ले आने के लिये भेज दिया, स्वयं उन गायों को सँभाल के लिये खड़े रहे। इतने में चारों ओर काली घटाएँ छा गयीं, महान् झंझावात प्रारम्भ हो गया। कोई गोरक्षक भी नहीं कि उसे गायें सँभलाकर वे भवन की ओर जायँ तथा यों ही गायों को छोड़ भी दें तो जायँ कैसे? बड़ी-बड़ी बूँदें पड़नी आरम्भ हो गयीं। प्रकृति का महान क्षोभ मूर्तिमान हो गया। तब और कोई उपाय न देखकर व्रजेश्वर एकान्त मन से नारायण का स्मरण करने लगे। |
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