श्रीराधा माधव चिन्तन -हनुमान प्रसाद पोद्दार
श्रीवृषभानुनन्दिनी से प्रार्थनाजो सबके हृदयान्तराल में नित्य-निरन्तर साक्षी और नियन्ता रूप से विराजमान रहने पर भी सबसे पृथक् गोप-वधूटी-विटरूप में वर्तमान रहते हैं, जो समस्त बन्धनों को तोड़कर सर्वथा उच्छृखंलता को प्राप्त हैं, जिनके स्वरूप का सम्यक् ज्ञान ब्रह्मा, शंकर, शुक, नारद और भीष्मादि ‘महतो महीयान्’ पुरुषों को भी नहीं है, अतएव वे हार मानकर मौन हो जाते हैं, उन सर्वनियमातीत, सर्वबन्धनविमुक्त, नित्य-स्ववश, परात्पर परम पुरुषोत्तम को भी जो श्रीराधिका-चरण-रेण इसी क्षण वश में करने की अनन्त शक्ति रखता है, उस अनन्त शक्ति श्रीराधिका-चरण-रेणु का हम अपने अन्तस्तल से बार-बार भक्ति पूर्वक स्मरण करते हैं—
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