श्रीराधा माधव चिन्तन -हनुमान प्रसाद पोद्दार
‘श्रीराधा-माधव-चिन्तन’ पर सम्माननीय विद्वानों के विचारश्रीहनुमान प्रसाद पोद्दार विद्वान व्यक्ति हैं, इन्होंने हिंदुओं के धार्मिक साहित्य का आदर एवं अध्यव्यवसाय के साथ अध्ययन किया है और तदुपरान्त अपने ढंग से इस महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ की रचना की है। श्रीराधा-माधव, जिनकी उपासना सम्पूर्ण भारतवर्ष में प्राचीनतम काल से होती आयी है, उन्हीं के चरणों में श्रीपोद्दार जी ने अपनी श्रद्धा के सुमन चढ़ाये हैं। उन्होंने अति सरल और स्पष्ट भाषा में वैष्णव-सिन्द्धान्त के रहस्यों की अनेक झाँकियाँ हमारे सामने प्रस्तुत की है। यह ग्रन्थ भारत के विशिष्ट और श्रद्धालु विद्वान् की कृति है। और जो सुजन सुन्दर आध्यात्मिक जीवन की प्राप्ति के लिये प्रयत्नशील हैं, उन्हें इस ग्रन्थ का पठन-मनन करना चाहिये। वैष्णव-साधना के आध्यात्मिक तत्त्व की अतुल धरोहर तब तक अक्षुण्ण रहेगी, जब तक राधा-माधव की उपासना और उनके रहस्य की चिन्तन होता रहेगा। वैष्णव-साधना के तत्त्व केवल सैद्धान्तिक चर्चा के विषय नहीं हैं, अपितु वे आचरण में उतारने की वस्तु हैं और तदनुसार जीवन बनाने के लिये प्रभु और गुरु-कृपा अपेक्षित है। विद्वान् लेखक ने अपनी बात इस रीति से कही है कि हर एक व्यक्ति समझ सके। कोई भी बात लेखक की दृष्टि से छिप नहीं पायी है और इस असाधारण कृति की रचना के लिये लेखक धन्यवाद के योग्य हैं। हमारे प्रभु और उनकी शक्ति चिरन्तन है। |
संबंधित लेख
क्रमांक | पाठ का नाम | पृष्ठ संख्या |
वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज