दशम स्कन्ध: सप्तसप्ततितम अध्याय (पूर्वार्ध)
श्रीमद्भागवत महापुराण: दशम स्कन्ध: सप्तसप्ततितम अध्याय श्लोक 31-37 का हिन्दी अनुवाद
अब शाल्व भगवान श्रीकृष्ण पर बड़े उत्साह और वेग से शस्त्रों की वर्षा करने लगा था। अमोघशक्ति भगवान श्रीकृष्ण ने भी अपने बाणों से शाल्व को घायल कर दिया और उनके कवच, धनुष तथा सिर की मणि को छिन्न-भिन्न कर दिया। साथ ही गदा की चोट से उसके विमान को भी जर्जर कर दिया। परीक्षित! भगवान श्रीकृष्ण के हाथों से चलायी हुई गदा से वह विमान चूर-चूर होकर समुद्र में गिर पड़ा। गिरने से पहले ही शाल्व हाथ में गदा लेकर धरती पर कूद पड़ा और सावधान होकर बड़े वेग से भगवान श्रीकृष्ण की ओर झपटा। शाल्व को आक्रमण करते देख उन्होंने भाले से गदा के साथ उसका हाथ काट गिराया। फिर उसे मार डालने के लिये उन्होंने प्रलयकालीन सूर्य के समान तेजस्वी और अत्यन्त अद्भुत सुदर्शन चक्र धारण कर लिया। उस समय उनकी ऐसी शोभा हो रही थी, मानो सूर्य के साथ उदयाचल शोभायमान हो। भगवान श्रीकृष्ण ने उस चक्र से परममायवी शाल्व का कुण्डल-किरीट सहित सिर धड़ से अलग कर दिया; ठीक वैसे ही, जैसे इन्द्र ने वज्र से वृत्रासुर का सिर काट डाला था। उस समय शाल्व के सैनिक अत्यन्त दुःख से ‘हाय-हाय’ चिल्ला उठे। परीक्षित! जब पापी शाल्व मर गया और उसका विमान भी गदा के प्रहार से चूर-चूर हो गया, तब देवता लोग आकाश में दुन्दुभियाँ बजाने लगे। ठीक इसी समय दन्तवक्त्र अपने मित्र शिशुपाल आदि का बदला लेने के लिये अत्यन्त क्रोधित हो आ पहुँचा। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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