श्रीमद्भागवत महापुराण चतुर्थ स्कन्ध अध्याय 16 श्लोक 17-27

चतुर्थ स्कन्ध: षोडश अध्याय

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श्रीमद्भागवत महापुराण: चतुर्थ स्कन्ध: षोडश अध्यायः श्लोक 17-27 का हिन्दी अनुवाद


ये परस्त्री में माता के समान भक्ति रखेंगे, पत्नी को अपने आधे अंग के समान मानेंगे, प्रजा पर पिता के समान प्रेम रखेंगे और और ब्रह्मवादियों के सेवक होंगे। दूसरे प्राणी इन्हें उतना ही चाहेंगे, जितना अपने शरीर को। ये सुहृदों के आनन्द को बढ़ायेंगे। ये सर्वदा वैराग्यवान् पुरुषों से विशेष प्रेम करेंगे और दुष्टों को दण्डपाणि यमराज के समान सदा दण्ड देने के लिये उद्यत रहेंगे।

‘तीनों गुणों के अधिष्ठाता और निर्विकार साक्षात् श्रीनारायण ने ही इनके रूप में अपने अंश से अवतार लिया है, जिनमें पण्डित लोग अविद्यावश प्रतीत होने वाले इस नानात्व को मिथ्या ही समझते हैं। ये अद्वितीय वीर और एकच्छत्र सम्राट् होकर अकेले ही उदयाचलपर्यन्त समस्त भूमण्डल की रक्षा करेंगे तथा अपने जयशील रथ पर चढ़कर धनुष हाथ में लिये सूर्य के समान सर्वत्र प्रदक्षिणा करेंगे। उस समय जहाँ-तहाँ सभी लोकपाल और पृथ्वीपाल इन्हें भेंटे समर्पण करेंगे, उनकी स्त्रियाँ इनका गुणगान करेंगी और इन आदिराज को साक्षात् श्रीहरि ही समझेंगी।

ये प्रजापालक राजाधिराज होकर प्रजा के जीवन-निर्वाह के लिये गोरूपधारिणी पृथ्वी का दोहन करेंगे और इन्द्र के समान अपने धनुष के कोनों से बातों-की-बात में पर्वतों को तोड़-फोड़कर पृथ्वी को समतल कर देंगे। रणभूमि में कोई भी इनका वेग नहीं सह सकेगा। जिस समय वे जंगल में पूँछ उठाकर विचरते हुए सिंह के समान अपने ‘आजगव’ धनुष का टंकार करते हुए भूमण्डल में विचरेंगे, उस समय सभी दुष्टजन इधर-उधर छिप जायेंगे। ये सरस्वती के उद्गम स्थान पर सौ अश्वमेध यज्ञ करेंगे। तब अन्तिम यज्ञानुष्ठान के समय इन्द्र इनके घोड़े को हरकर ले जायेंगे। अपने महल के बगीचे में इनकी एक बार भगवान् सनत्कुमार से भेंट होगी। अकेले उनकी भक्तिपूर्वक सेवा करके ये उस निर्मल ज्ञान को प्राप्त करेंगे, जिससे परब्रह्म की प्राप्ति होती है।

इस प्रकार जब इनके पराक्रम जनता के सामने आ जायेंगे, अब ये परमपराक्रमी महाराज जहाँ-तहाँ अपने चरित्र की ही चर्चा सुनेंगे। इनकी आज्ञा का विरोध कोई भी न कर सकेगा तथा ये सारी दिशाओं को जीतकर और अपने तेज से प्रजा के क्लेशरूप काँटे को निकालकर सम्पूर्ण भूमण्डल के शासक होंगे। उस समय देवता और असुर भी इनके विपुल प्रभाव का वर्णन करेंगे’।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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