श्रीमद्भगवद्गीता साधक-संजीवनी हिन्दी-टीका -स्वामी रामसुखदास
प्रथम अध्याय अन्ये च बहवः शूरा मदर्थे त्यक्तजीविताः। व्याख्या- ‘अन्ये च बहवः शूरा मदर्थे त्यक्तजीविताः’- मैंने अभी तक अपनी सेना के जितने शूरवीरों के नाम लिए हैं, उनके अतिरिक्त भी हमारी सेना में बाह्लीक, शल्य, भगदत्त, जयद्रथ आदि बहुत से शूरवीर महारथी हैं, जो मेरी भलाई के लिये, मेरी ओर से लड़ने के लिये अपने जीने की इच्छा का त्याग करके यहाँ आये हैं। वे मेरी विजय के लिये मर भले ही जायँ, पर युद्ध से हटेंगे नहीं। उनकी मैं आपके सामने क्या कृतज्ञता प्रकट करूँ। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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