श्रीमद्भगवद्गीता साधक-संजीवनी हिन्दी-टीका -स्वामी रामसुखदास
दशम अध्याय
[इस अध्याय में बतायी गयी संपूर्ण विभूतियाँ सबके काम नहीं आती, प्रत्युत ऐसी अनेक दूसरी विभूतियाँ भी काम में आती हैं, जिनका यहाँ वर्णन नहीं हुआ है। अतः साधक को चाहिए कि जहाँ-जहाँ किसी विशेषता को लेकर मन खिंचता हो, वहाँ-वहाँ उस विशेषता को भगवान की ही माने और भगवान का ही चिन्तन करे; चाहे वह विभूति यहाँ भगवान द्वारा कही गयी हो अथवा न कही गयी हो।] संबंध- अठारहवें श्लोक में अर्जुन ने भगवान से विभूति और योग बताने की प्रार्थना की। इस पर भगवान ने पहले अपनी विभूतियों को बताया और अब आगे के श्लोक में योग बताते हैं। |
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