श्रीमद्भगवद्गीता साधक-संजीवनी हिन्दी-टीका -स्वामी रामसुखदास
दशम अध्याय
इसी अध्याय के चौदहवें श्लोक में अर्जुन ने भी भगवान से कहा है कि आपको देवता और दानव नहीं जानते; क्योंकि देवताओं के पास भोग-सामग्री की और दानवों के पास माया-शक्ति की अधिकता है। तात्पर्य है कि भोगों में लगे रहने से देवताओं को[1] समय ही नहीं मिलता और माया-शक्ति से छल-कपट करने से दानव मेरे को जान ही नहीं सकते। संबंध- पूर्वश्लोक में कहा गया कि देवता और महर्षि लोग भी भगवान के प्रकट होने को सर्वथा नहीं जान सकते, तो फिर मनुष्य भगवान को कैसे जानेगा और उसका कल्याण कैसे होगा? इसका उपाय आगे के श्लोक में बताते हैं। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ मेरे को जानने के लिए
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