श्रीमद्भगवद्गीता तत्त्वविवेचनी हिन्दी-टीका -जयदयाल गोयन्दका
षष्ठ अध्याय
उत्तर- वन, पर्वत, गुफा आदि एकान्त देश ही ध्यान के लिये उपुयक्त है। जहाँ बहुत लोगों का आना-जाना हो, वैसे स्थान में ध्यानयोग का साधन नहीं बन सकता। इसीलिये ऐसा कहा गया है। प्रश्न- यहाँ ‘आत्मा’ शब्द किसका वाचक है? और उसको परमात्मा में लगाना क्या है? उत्तर- यहाँ ‘आत्मा’ शब्द मन-बुद्धिरूप अन्तःकरण का वाचक है और मन-बुद्धि को परमात्मा में तन्मय कर देना ही उसको परमात्मा में लगाना है। प्रश्न- ‘सततम्’ का क्या अभिप्राय है? उत्तर- ‘सततम्’ पद ‘युन्जीत’ क्रिया का विशेषण है और निरन्तरता का वाचक है। इसका अभिप्राय यह है कि ध्यान करते समय जरा भी अन्तराय न आने देना चाहिये। इस प्रकार निरन्तर परमात्मा का ध्यान करते रहना चाहिये, जिसमें ध्यान का तार टूटने ही न पावे। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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