श्रीगनपति गुरु सारदा -हनुमान प्रसाद पोद्दार

पद रत्नाकर -हनुमान प्रसाद पोद्दार

वंदना एवं प्रार्थना

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दोहा


श्रीगनपति गुरु सारदा, बंदौं बारंबार।
परब्रह्म के रूप सब भिन्न-भिन्न आकार॥
पुनि सुमिरौं गुरुबर चरन, वांछित-फल-दातार।
अति दुस्तर भव-सिंधु तें, जे पहुँचावहिं पार॥

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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