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श्रीकृष्ण लीला का चिन्तन
49. गोप-बालकों के साथ श्रीकृष्ण का वन-भोजन तथा भोजन के साथ-साथ मधुरातिमधुर कौतुक एवं कौशलपूर्ण विनोद
सुरसमुदाय भ्रान्त होने लगता है-
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टीका-टिप्पणी और संदर्भ
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सुरसमुदाय भ्रान्त होने लगता है-
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