श्रीकृष्ण लीला का चिन्तन
68. श्रीकृष्ण का कालिय को अपने चारों ओर घुमाकर शान्त कर देना और फिर उसके फनों पर कूद कर चढ़ जाना, ललित नृत्य करने लगना; देवताओं द्वारा सुमन-वृष्टि तथा ऋषियों द्वारा स्तव पाठ, गन्धर्वों द्वारा गान एवं चारणों द्वारा वाद्य सेवा; कालिय का अन्त समय में प्रभु को पहचान लेना और उनकी शरण वरण करना
अतिशय चञ्चल कालिय फन पर अखण्ड सुमधुर ताल बन्ध की रचना एक असाधारण अभूतपूर्व कौशल जो होगी। इसीलिये लीला विहारी इसी की अवतारणा करने जा रहे हैं-नहीं-नहीं कर चुके, उनका वह नृत्य आरम्भ हो गया-
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टीका-टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ (श्रीमद्भा. 10।16।26)
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