श्रीकृष्ण माधुरी पृ. 28

श्रीकृष्ण माधुरी -सूरदास

अनुवादक - सुदर्शन सिंह

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राग ललित

21
छोटी-छोटी गुडीयाँअँगुरियाँ छबीली छोटी
नख जोती मोती मानौ कमल दलनि पर।
ललित आँगन खेलैठुमुक ठुमुक डोलै
झुनुक झुनुक बोलै पैंजनी मृदु मुखर ॥1॥
किँकिनी कलित कटि हाटक रतन जटि
मृदु कर कमलन पहुँची रुचिर बर।
पियरी पिछौरी झीनीऔर उपमा न भीनी
बालक दामिनी मानौ ओढै बारौ बारिधर ॥2॥
उर बघनहाकंठ कठुलाझँडुले बार
बेनी लटकन मसि बुंदा मुनि मन हर।
अंजन रंजित नैनचितवनि चित चोरै
मुख सोभा पर बारौं अमित असमसर ॥3॥
चुटुकी बजावति नचावति जसोधा रानी
बाल केलि गावति मल्हावति सुप्रेम भर।
किलकि किलकि हँसेद्वै द्वै दँतुरियाँ लसै
सूरदास मन बसै तोतरे बचन बर ॥4॥

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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