श्रीकृष्ण गीतावली
6. यमुना तट पर वंशीवादन
राग नट
(20) मनोहर गोपाल लाल सुन्दर रीति से नट-राग गा रहे हैं, सखी री! चल उन्हें देखने, नेत्रों के परम लाभ को प्रत्यक्ष करने। वे यमुना जी के तट पर हरसिंगार के वृक्ष के नीचे खड़े हैं ।। 1 ।। सिर पर सुन्दर मोर-चन्द्रिका और मंजुल गुंजाओं के गुच्छों को धारण किये हुए हैं। शरीर पर वन की धातुओं से बनायी हुई चित्रावली सुशोभित है, पीत पट ओढ़े हैं। मुरली की मधुर स्वर-लहरी से मुग्ध होकर पशु-पक्षी अत्यन्त समीप से त्रिभंगललित मूर्ति को देख रहे हैं ।। 2 ।। देवता हर्षित होकर आकाश से फूल बरसा रहे हैं। गोपों और गौओं के समूह प्रेम से शिथिल हो रहे हैं। (यों कहती सुनती व्रजगोपियाँ वहाँ पहुँच गयीं और प्रभु को देखकर मार्ग में जहाँ की तहाँ ख़ाली और भरे घड़े लिये (मुग्ध बनी) खड़ी रह गयीं ।। 3 ।। |
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